Monday, November 12, 2018

कहानी एक तलवार की

कहानी एक तलवार की

तलवार वो बड़ी अभिमानी थी 
रक्त की वो दिवानी थी
झुकते उसके सामने हर शस्त्र
था कभी वो खेलती रक्त की होली 
कभी वो मनाती जीत का जश्न 
राजसी तलवार वो बड़ी अभिमानी थी!!!!
उसके सूर्य से पहले प्रणाम करते थे 
सुरमा उसकी आरती उसकी संध्या को होती थी
रक्त से नहाती वो रक्त का खेल खेला करती थी 
जहां भी जाती अपने सखा वीर का साथ ना छोड़ती थी 
वो हर दम हर कदम पत्नी सा साथ देती थी 
वो तलवार बड़ी अभिमानी थी !!!
रूकते पांव वीरों के उसमें जोश भर देती थी 
कभी स्वयं जाती वीरों के पास कभी वीर उसे बुलाते थे 
रक्त से भी गहरा संबंध था उसका 
हर वक्त हर कदम साथ निभाती थी 
वो तलवार बड़ी अभिमानी थी वो!!! 
अब लग गया हैं जंग उस पर 
कभी प्रताप कभी दुर्गा दास की सखी थी 
वो आज बंद पड़ी हैं कहीं किसी कोने में 
ऊंची पताका फहराती वो राजपूतों की 
आज वो गुमसुम चुपचाप बैठी हैं शीशे के घरोंदो में
उठेंगी वो एक दिन झंकार होगी 
बड़ी चूमेगी फिर रक्त को 
साथ निभाएंगी वो बाल सखा सा शूरवीरों सा उठेंगी वो एक दिन............................... तलवार बड़ी अभिमानी थी 




Wednesday, October 24, 2018

एक रात की कहानी

एक रात की कहानी 
चाँद तारों की कहानी

रंग तरंग की कहानी
सुख सुहागण की कहानी
चुड़लें घूड़ले की कहानी
पीठी ,तोरण की कहानी
मांडे,चाक भात की कहानी
मंत्र, सगुण की कहानी
एक रात की कहानी 
चांद तारों की कहानी 

दारू-मिट,पांचों पकवानों की कहानी 
गीत,गुड़,गुलाब की कहानी
मामा चोळा,सुहागण सगुण सासरे की कहानी
एक रात की कहानी 
चांद तारों की कहानी

सात वचन,चार फेरों की कहानी
जीवन भर साथ की कहानी
झौळ,तेल बान की कहानी
माँ सा बापूसा के सपने की कहानी
एक रात की कहानी 
चांद तारों की कहानी




Wednesday, October 17, 2018

आदर्श - माँ सती पद्मावती

ना मैं गीत लिखती 
ना मैं संगीत लिखती
बस बात अपने मन की लिखती
कहीं मचा बवाल हैं कहीं पसरा सन्नाटा
कहीं अपशब्दों की कहीं धमकियों की भरमार
गुहार लगा रहे हैं कभी कालवी के नाम की
कहीं गोगामेड़ी के नाम की 
कहीं मकराना की जय सब भुला बिसराए 
एक बात कोचढ़ती 
दिन रात को खड़े हैं राहों में योद्धा अनेकानेक 
किसी नाम के पीछे ना पहचान के पीछे 
बस माँ सती के पीछे भुलाकर सब बैर द्वेष 
भुलाकर सब मतभेद दिलों के बैराग मिटाकर जीते 
बस एक नाम के पीछे जीवन के मकाम के पीछे
राजपूताना के नीचे माँ सती के गौरव के नीचे 
कर्जदार हम उसके आज से नहीं सदियों से 
हम वफादार उसके ना महसूस होती होगी 
उन्हें चीखें पुकारें हम उस बलिदानी के बेटे 
मान बढ़ाया जिसने औरतों का सिखाया पाठ मर्यादित आत्मसम्मान का 
मैं हूं उस माँ सती पद्मावती की पुजारिन 
हाथ तलवार वो कंपाती दुश्मनों के हौसले 
जब चलीं अग्नि को कांपयी दुश्मनों की रूहें 
माँ सती पद्मावती मेरी आदर्श जो मर्यादित आत्मसम्मान पूजनीय 




Monday, October 8, 2018

मेरे बाबुल का अंगना

मेरे बाबुल के अंगने में जीवन बिताया है
इस आंगन में बचपन बिताया है
इस आंगन में खेली हु 
इस आंगन में लड़खपन जिया है 
इस आंगन में हर पड़ाव देखा है  
गलतियां की मैने यहाँ 
जीवन की सिख मिली मुझे यहाँ 
बाबुल की डांट मिली मुझे यहाँ 
माँसा का लाड मिला यहाँ 
दादिसा से सिख मिली संस्कारों की यहाँ 
दादोसा का लाड मिला मुझे यहाँ 
भाइयों का प्यार मिला यहाँ 
बड़े दादा की लाड में छुपी परवाह देखी यहाँ 
छोटे के चिढ़ाने में छुपा प्यार मिला यहाँ 
जीजा की लाड में डांट में छुपी चिंता देखी यहाँ 
जिंदगी की हर रंग देखा यहाँ 
मेरे बाबुल के अंगने में जीवन बिताया है









Wednesday, October 3, 2018

बिटिया

सयानी सी बातें करने वाली बिटिया आज परायी हो गई
मेरे घर कि जान आज किसी के घर कि शान हो गई
बातें करती थी बड़ी बडी 
आज समझदार हो गई  
घर में मेरे गूँजती था उसकी आवाज़ 
आज उसकी आवाज में नर्मी आ गयी  
कल तक खेलती थी गुड्डे गुडिया से 
आज ब्याह का मतलब समझ गयी
कल तक था पंसद उसे नूडल्स चटपटी चीजें 
आज वो सब्जी बनाना सीख गयी
कल तक पहनती थी चूड़ियाँ शौख से 
आज उन कि खनक का अर्थ समझ गयी
कल तक सिंदूर सिर्फ टीका था 
आज मांग में सजाना सीख गयी
कल तक घूमती थी बेफिक्र 
आज घर का ध्यान रखना सीख गयी
कल तक जो खेलती थी खिलौनों से 
आज वो घर समभालना सीख गयी
कल तक बेफीक्र खेलती थी वो 
आज जिम्मेदारी उठाना सीख गयी
कल तक हसती गाती थी वो बेटी 
आज बहू का फर्ज निभाना सीख गयी
सयानी सी बातें करने वाली बिटिया आज परायी हो गई
मेरे घर कि जान आज किसी के घर कि शान हो गई 




Monday, September 24, 2018

लाडली चिड़कली

लाडली... वो लाडली चिड़कली 
बाबूल के घर खेली चिड़कली
दादिसा के गोदी में खेली चिड़कली
दादोसा के कंधे घुमे चिड़कली
माँ कि लाड कँवर चिड़कली
बाबुल की जान चिड़कली
भाईयों की लाडेसर चिड़कली
घुमे जब चिड़कली पग - पग नापे जमीन चिड़कली
आँखों का तारा चिड़कली
एक दिन उड़ जायेगी चिड़कली
छोड़ बाबूल का अंगना शोभा बढ़ाएगी किसी और के घर को महकाएगी चिड़कली
एक दिन उड़ जायेगी लाडेसर चिड़कली
लाडली... वो लाडली चिड़कली